
Bikaner : साहित्य अकादेमी द्वारा बच्चों के लिए रचनात्मक लेखन पर आयोजित कार्यशाला सम्पन्न
RNE Bikaner.
साहित्य अकादेमी ने क़िस्सा-ओ-कलम शीर्षक से बच्चों के लिए एक रचनात्मक लेखन कार्यशाला का आयोजन 26-30 मई 2025 के बीच किया । हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा में होने वाली में होने वाली इस कार्यशाला को साहित्य अकादेमी ने 2017 में शुरू किया था। इस बार कार्यशाला का यह छठा संस्करण था। बच्चों और युवा पीढ़ी को भाषा और साहित्य के प्रति प्रोत्साहित करने और संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से की गई इस पाँच दिनों की कार्यशाला के दौरान, उन्हें भाषा, अपनी रचनात्मक अभिव्यक्तियों में कल्पना और प्रवाह को बढ़ाने में मदद करने वाले तत्वों के बारे में जानकारी दी गई। बच्चों को पढ़ने और लिखने का आनंद लेने, भाषा के साथ खेलने और इसे अपने स्वयं के लेखन का हिस्सा बनाने की दिशा में पहले क़दम के तौर पर क्या करना चाहिए आदि कि भी जानकारी दी गई।
बच्चों को व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से बातचीत करने के लिए प्रेरित करना भी कार्यशाला का प्रमुख लक्ष्य था। बच्चों को अपने लेखन की आत्म-आलोचना और स्व-संपादन करने के बारे में भी बताया गया । अंतिम दिन, सहभागिता करने वाले बच्चों ने उन कहानियों को पढ़कर सुनाया जो उन्होंने पूरी तरह से अपने दम पर पाँच दिनों में बनाई थी।क़िस्सा-ओ-कलम का यह संस्करण ’हरे और नीले तथा अन्य सभी रंगों के बारे में: हमारे लुप्तप्राय ग्रह के बारे में लेखन’ शीर्षक के अंतर्गत आयोजित किया गया।
पिछले संस्करणों की भाँति, इस वर्ष भी क़िस्सा-ओ-कलम कार्यशाला के दौरान बाल साहित्य के एक प्रख्यात लेखक के साथ विशेष बातचीत का भी आयोजन किया गया। 2025 के लिए विशेष आमंत्रित अतिथि प्रख्यात और बहुचर्चित लेखिका तथा पर्यावरण इतिहासकार मेघा गुप्ता थीं।
कार्यशाला के अंतिम दिन सहभागिता करने वाले बच्चों के माता-पिता/अभिभावक भी सभागार में शामिल हुए। साहित्य अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव द्वारा प्रत्येक बच्चे को भागीदारी प्रमाण पत्र दिया गया। कार्यशाला के अंत में कार्यशाला की संचालिका चंदना दत्ता और वंदना बिष्ट अकादेमी अधिकारियों के साथ बच्चों के एक समूह फोटो में शामिल हुईं।
उप सचिव (प्रकाशन) डॉ. एन. सुरेश बाबू कार्यशाला के समग्र प्रभारी थे। कार्यशाला में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के 10 से 18 वर्ष के 43 बच्चों ने भाग लिया। कार्यक्रम अधिकारी, मृगनयनी गुप्ता ने माता-पिता और बच्चों के साथ समन्वय किया। क़िस्सा-ओ-कलम की इस कार्यशाला में जिस बात ने प्रशिक्षकों को सबसे अधिक प्रोत्साहित किया, वह था, राजस्थान के एक छात्र का शामिल होना, जिसने विशेष रूप से इस कार्यशाला के लिए नई दिल्ली की यात्रा की।